Friday 12 December 2014

मैं जितना ऊपर बड़ता गया

मैं जितना ऊपर बड़ता गया

मैं जितना ऊपर बड़ता गया
आसमान पास आता गया
धरती दूर जाती गयी
पेड़ पौधे छोटे होते गये
पक्षी पास आते रहे
हवा चेहरे से टकराती रही
चिंता दूर जाती रही

Tuesday 25 November 2014

मैने सपने मैं देखा एक सपना

मैने सपने मैं देखा एक सपना

मैने सपने मैं देखा एक सपना
की मैने अपनी छाया को है पकड़ा
वो छटपटाई फिर चिल्लाई
पर मैने एक ना सुनी
मैने कहा यह क्या बात है
उजाले में नज़र आती हो
पर अंधेरे मे डर लगता है क्या ?
कि साथ छोड़ जाती हो?
वो मुस्कुराई फिर शरमाई
फिर बोली मैं कहाँ साथ छोड़ जाती हूँ
वो तो अंधेरे में तुम मुझे देख नहीं पाते हो
में तो कुम्हारी छाया हूँ तुम्हे छोड़ कर कहाँ जाउगी
तुम्हारी हूँ और आखरी दम तक साथ निभाऊगी

Thursday 9 October 2014

मुझे श्राप न दें

मुझे श्राप न दें

साधू मुझे श्राप न दें
ना समझे मुझे  अभिशाप कोई
कि मैं एक मुक्त बादल की तरह
उड़ा जाता हूँ
हवा के साथ
न जाती का भेद
न धर्म की दीवार
कोई मुझे ना रोके
ना टोके कोई

Friday 18 July 2014

मेरा जीवन का अनुभव

मेरा जीवन का अनुभव

मेरा जीवन का अनुभव
शायद किसी के काम न आए
क्योंकि मैने कभी किसी से कुछ छीना नहीं
आगे बडने के लिए
कभी किसी के ऊपर चड़ा नहीं
किसी को रोंदा नहीं
किसी का हक़ मारा नहीं

Wednesday 21 May 2014

शायद मेरा रास्ता खो गया है

शायद मेरा रास्ता खो गया है

शायद मेरा रास्ता खो गया है
में रास्ता नहीं भटका
मेरा रास्ता कहीं
अपनी मंज़िल से भटक गया है
सुनाथा इस रस्ते पर चलकर
बहुत से पा गये मंज़िल
पर अब पता चला कि
मंज़िल ने अपना पता बदल लिया है

Thursday 6 March 2014

मेरी बारी भी आएगी

मेरी बारी भी आएगी

मेरी बारी भी आएगी
जब मैं अपने सपनों के पंख खोल
ऊँचे आसमान में हवा से बातें करूँगा
न कोई बंधन होगा ना कोई रोक टोक
जितना चाहे उतना ऊपर चड़ूँगा
बादलों से ऊपर वहाँ तक
जहाँ से आकाश शुरू होता है

Sunday 19 January 2014

मुझे रोशनी पसंद नहीं

मुझे रोशनी पसंद नहीं

मुझे रोशनी पसंद नहीं
क्योंकि रोशिनी में नहा कर
कोई काला कहलाता है तो कोई गोरा
ना होती रोशनी तो ना कोई गोरा होता
और ना कोई काला नज़र आता
पर क्या यह फ़र्क रोशनी के कारण है
या यह फ़र्क है इंसान की सोंच में या
उसकी नज़र में ?