मेरी बारी भी आएगी
मेरी बारी भी आएगी
जब मैं अपने सपनों के पंख खोल
ऊँचे आसमान में हवा से बातें करूँगा
न कोई बंधन होगा ना कोई रोक टोक
जितना चाहे उतना ऊपर चड़ूँगा
बादलों से ऊपर वहाँ तक
जहाँ से आकाश शुरू होता है
मेरी बारी भी आएगी
जब मैं अपने सपनों के पंख खोल
ऊँचे आसमान में हवा से बातें करूँगा
न कोई बंधन होगा ना कोई रोक टोक
जितना चाहे उतना ऊपर चड़ूँगा
बादलों से ऊपर वहाँ तक
जहाँ से आकाश शुरू होता है