Tuesday 25 November 2014

मैने सपने मैं देखा एक सपना

मैने सपने मैं देखा एक सपना

मैने सपने मैं देखा एक सपना
की मैने अपनी छाया को है पकड़ा
वो छटपटाई फिर चिल्लाई
पर मैने एक ना सुनी
मैने कहा यह क्या बात है
उजाले में नज़र आती हो
पर अंधेरे मे डर लगता है क्या ?
कि साथ छोड़ जाती हो?
वो मुस्कुराई फिर शरमाई
फिर बोली मैं कहाँ साथ छोड़ जाती हूँ
वो तो अंधेरे में तुम मुझे देख नहीं पाते हो
में तो कुम्हारी छाया हूँ तुम्हे छोड़ कर कहाँ जाउगी
तुम्हारी हूँ और आखरी दम तक साथ निभाऊगी