हम क्यों उन्हे अपने
इतना पास आने देते हैं
की वोह हमें घायल करके
सॉरी बोल कर निकल लेते हैं
उन्हें पास आने देना हमारी फ़ितरत है
और उनका चोट पहुँचा कर बस एक सॉरी बोलना
शायद उनकी आदत है
इतना पास आने देते हैं
की वोह हमें घायल करके
सॉरी बोल कर निकल लेते हैं
उन्हें पास आने देना हमारी फ़ितरत है
और उनका चोट पहुँचा कर बस एक सॉरी बोलना
शायद उनकी आदत है
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